ताजमहल: एक मन्दिर होने के प्रमाण

परिचय

ताजमहल का नाम सुनते ही हमारे मन में एक भव्य मकबरे की छवि उभरती है। यह अनमोल धरोहर शाहजहाँ द्वारा अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाई गई थी। लेकिन कुछ विद्वानों का कहना है कि ताजमहल वास्तव में एक प्राचीन हिन्दू मन्दिर था।

वास्तुकला और स्थापत्य शैली

ताजमहल की वास्तुकला और स्थापत्य शैली का विश्लेषण करते समय कुछ तथ्य सामने आते हैं जो इसे एक मन्दिर होने का संकेत देते हैं। ताजमहल की संरचना में कई हिन्दू मंदिरों जैसी विशेषताएँ हैं, जैसे कि ऊंचे गुम्बद, शिखर, और मूर्तियाँ। इसके अलावा, ताजमहल के चारों ओर बने बाग भी हिन्दू स्थापत्य कला के अनुरूप हैं।

इतिहासकारों के दृष्टिकोण

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ताजमहल को पहले ‘तेजो महालय’ के नाम से जाना जाता था, जो भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन हिन्दू मन्दिर था। यह तर्क भी दिया जाता है कि ताजमहल के निर्माण से पहले यहाँ एक मन्दिर ही था जिसे मुगल सम्राटों ने ध्वस्त कर दिया।

पुरातात्विक प्रमाण

पुरातात्विक प्रमाण भी इस दावे को समर्थन देते हैं। ताजमहल के नींव में मिले कुछ शिलालेखों और अन्य संरचनाओं को देखकर यह कहा जा सकता है कि यह स्थल पहले एक मन्दिर था। इन प्रमाणों का अध्ययन करके इस विवाद को सुलझाने की कोशिश की जा रही है।

निष्कर्ष

हालांकि ताजमहल के मन्दिर होने के प्रमाणों को लेकर विवाद जारी है, यह स्पष्ट है कि इसकी स्थापत्य कला और इतिहास में कई रहस्य छिपे हैं। चाहे यह मन्दिर हो या मकबरा, ताजमहल अपनी खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व के कारण हमेशा चर्चा में रहेगा।

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